थोड़ा सा माहौल बनाना होता है
वर्ना किसी के साथ ज़माना होता है,
सच्चा शेर सुनाने वाले ख़त्म हुए
अब तो ख़ाली खेल दिखाना होता है,
आँसू पहली शर्त है इस समझौते की
ग़म तो साँसों का जुर्माना होता है,
लालक़िले की दीवारों पर लिखवा दो
दिल सब से महफ़ूज़ ठिकाना होता है,
दुनिया में भरमार है नक़ली लोगों की
सौ में कोई एक दिवाना होता है,
रात हमारे घर जल्दी आ जाया कर
हमें सवेरे काम पे जाना होता है,
ऐसी कोई बात नहीं मायूसी की
सच में थोड़ा सा अफ़्साना होता है,
सब की अपनी एक इकाई होती है
सब का अपना एक ज़माना होता है,
हम ने तो उन को भी लुटते देखा है
जिन के चार क़दम पर थाना होता है,
आज बिछड़ते वक़्त मुझे मालूम हुआ
लोगों में एहसास का ख़ाना होता है..!!
~शकील जमाली

























