सुनी है चाप बहुत वक़्त के गुज़रने की

सुनी है चाप बहुत वक़्त के गुज़रने की
मगर ये ज़ख़्म कि हसरत है जिसके भरने की,

हमारे सर पे तो ये आसमान टूट पड़ा
घड़ी जब आई सितारों से माँग भरने की,

गिरह में दाम तो रखते हैं ज़हर खाने को
ये और बात कि फ़ुर्सत नहीं है मरने की,

बहुत मलाल है तुझ को न देख पाने का
बहुत ख़ुशी है तेरी राह से गुज़रने की,

बताओ तुम से कहाँ राब्ता किया जाए
कभी जो तुम से ज़रूरत हो बात करने की..!!

~अजमल सिराज

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