किसी की ना सुनिए ख़ुद की सुनाते जाइए
आप जो है ख़ुद वही सबको बनाते जाइए,
मुर्दा ज़मीरो का भी कुछ तो निशाँ बाक़ी रहे
काम किसी का भी हो अपना बताते जाइए,
लानतो का अंबार हो या कि हो आह ओ बुका
आप बस हर क़दम क़ौमी तराना गाते जाइए,
तल्खियों से रूबरू होता रहे अहल ए चमन
मगर आप हर सू नफरतो के बीज बोते जाइए..!!
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