पेड़ मुझे तब हसरत से देखा करते थे

ped-mujhe-tab-hasrat

पेड़ मुझे तब हसरत से देखा करते थे जब मैं जंगल में पानी लाया करता था, थक जाता

शोर करूँगा और न कुछ भी बोलूँगा

shor-karunga-aur-na

शोर करूँगा और न कुछ भी बोलूँगा ख़ामोशी से अपना रोना रो लूँगा, सारी उम्र इसी ख्वाहिश में

कर्ब हरे मौसम को तब तक सहना पड़ता है

karb-hare-mausam-ko

कर्ब हरे मौसम को तब तक सहना पड़ता है पतझड़ में तो पात को आख़िर झड़ना पड़ता है,

दुख फ़साना नहीं कि तुझ से कहें

dukh-fasana-nahi-ki

दुख फ़साना नहीं कि तुझ से कहें दिल भी माना नहीं कि तुझ से कहें, आज तक अपनी

जंगल काट दिए और फिर शहर भी जला दिए

jungle-kaat-diye-aur

जंगल काट दिए और फिर शहर भी जला दिए अपने घरो के चिराग़ लोगो ने ख़ुद बुझा दिए,

पगडंडी पर छाँवो जैसा कुछ नहीं दिखता

pagdandi-par-chhanvo-jaisa

पगडंडी पर छाँवो जैसा कुछ नहीं दिखता गाँवों में अब गाँवों जैसा कुछ नहीं दिखता, कथनी सबकी कड़वी

सीधे सादे से है कुछ पेंच ओ ख़म नहीं रखते

sidhe-saade-se-hai

सीधे सादे से है कुछ पेंच ओ ख़म नहीं रखते जी भर आता है तो रो लेते है

चीखते है दर ओ दीवार नहीं होता मैं

chikhte-hai-dar-o

चीखते है दर ओ दीवार नहीं होता मैं आँख खुलने पे भी बेदार नहीं होता मैं, ख़्वाब देखना

क़ुबूल है अब तो ज़िन्दगी का हर तोहफ़ा

qubul-hai-ab-to

क़ुबूल है अब तो ज़िन्दगी का हर तोहफ़ा मैंने ख्वाहिशो का नाम बताना छोड़ दिया, जो दिल के

जुबां कड़वी, हलक सूखा, हैं साँसे मुनज़मिद मेरी

zuban kadwi halak sukha hai saanse munzamid

जुबां कड़वी, हलक सूखा, हैं साँसे मुनज़मिद मेरी ज़हर ने किया क्या आख़िर ज़रा सी चासनी दे कर,