तुझ से बिछड़ के यूँ तो बहुत जी उदास है

तुझ से बिछड़ के यूँ तो बहुत जी उदास है
लेकिन ये लग रहा है कि तू मेरे पास है,

दरिया दिखाई देता है हर एक रेगज़ार
शायद कि इन दिनों मुझे शिद्दत की प्यास है,

हैरत से सब को तकते हैं पत्थर बने हुए
जादूगरों के शहर में अपना निवास है,

तुम को सुना रहा है लतीफ़े जो रात दिन
वो आदमी तो तुम से ज़ियादा उदास है,

वीराँ है मेरा घर भी उसी तरह दोस्तो
कॉलेज में जिस तरह कोई उर्दू क्लास है,

पूछो कोई सवाल मिलेगा ग़लत जवाब
वाली हर एक शख़्स यहाँ बदहवास है..!!

~वाली आसी

Leave a Reply