रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो
हम सुख़न कोई न हो और हम ज़बाँ कोई न हो,

बे दर ओ दीवार सा एक घर बनान चाहिए
कोई हम साया न हो और पासबाँ कोई न हो,

पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो नौहा ख़्वाँ कोई न हो ..!!

~मिर्ज़ा ग़ालिब

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