हासिल हुई जब से आरज़ी शोहरते
माल ओ ज़र के नशे में चूर हो गया,
पा के ऊँचा रूतबा वो दूर हो गया
बेटा ना रहा अब वो हुज़ूर हो गया,
माँ बाप को समझने लगा है एक बोझ
कहता है ढोते ढोते मज़दूर हो गया,
क़ाबिल बनाने में ख़ूँ पानी कर दिया
रिश्ता खून वाला उसे नामंज़ूर हो गया,
इल्ज़ाम देता है वो जलते है देख कर
इल्ज़ाम देना अब उसका दस्तूर हो गया..!!