हाल ए दिल सब से छुपाने में…

हाल ए दिल सब से छुपाने में मज़ा आता है
आप पूछें तो बताने में मज़ा आता है,

रौशनी बोझ सी लगती है शब ए हिज्राँ में
हाँ मगर दिल को जलाने में मज़ा आता है,

जिसके कुछ तार उलझ जाते हैं दिल की सूरत
बस उसी साज़ पे गाने में मज़ा आता है,

जाँ बचाने का तसव्वुर भी बुरा लगता है
इश्क़ में जान गँवाने में मज़ा आता है,

याद कर कर के वो गर्मी की भरी दोपहरें
पहली बारिश में नहाने में मज़ा आता है..!!

~नवाज़ देवबंदी

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