ग़ैरों के जब भी लुत्फ़ ओ करम याद आ गए
अपनों ने जो किए थे सितम याद आ गए,
अह्द ए वफ़ा किसी ने किया जब किसी के साथ
हम को तुम्हारे क़ौल ओ क़सम याद आ गए,
रह रह के आ रही हैं ये क्यों आज हिचकियाँ
किस को पराए देस में हम याद आ गए,
फिर दिल उदास उदास है माज़ी की याद से
जो ग़म भुला चुके थे वो ग़म याद आ गए,
बादल जो बरसे टूट के ऐ पुरनम ए हज़ीं
उन को हमारे दीदा ए नम याद आ गए..!!
~पुरनम इलाहाबादी
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