दिल में हर वक़्त ख़याल ए दर ए जानाना है

दिल में हर वक़्त ख़याल ए दर ए जानाना है
यानी काबे के मुक़द्दर में सनम ख़ाना है,

ज़ौक़ ए रंगीं मेरा आईना ए मयख़ाना है
मय है शबनम मेरी और गुल मेरा पैमाना है,

है वही दिल जो किसी शोले का मुहताज नहीं
अपनी ही आग में जल जाए वो परवाना है,

दिल में अरमानों के सूखे हुए कुछ फूल सही
कोई ये तो न कहेगा कि ये वीराना है,

अब ये आलम है मेरी तिश्नालबी का साक़ी
अश्क आँखों में हैं और हाथ में पैमाना है,

वो कहीं जल्वानुमा हो तो क़यामत हो जाए
सारा आलम जिसे बे देखे ही दीवाना है,

लग़्ज़िशों का मेरी अब तो है ये आलम ऐ शौक़
काँपते हाथों में टूटा हुआ पैमाना है..!!

~विशनू कुमार शौक

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