मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं

mutthi bhar logo ke hathon me lakhon ki taqdeeren hain

मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी

insan me haiwan yahan bhi hai wahan bhi

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी, ख़ूँ ख़्वार दरिंदों

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया

girja me mandiron me azaanon me bat gaya

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया, इक इश्क़

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो

har ek ghar me diya bhi jale anaj bhi ho

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है

koi hindu koi muslim koi eesaai hai

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है, इतनी ख़ूँ

काजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में

kaajoo bhune plate me whisky gilas me

काजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में, पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों

जितने हरामख़ोर थे क़ुर्बो जवार में

jitne haramkhor the kurbo jawar me

जितने हरामख़ोर थे क़ुर्बो जवार में परधान बनके आ गए अगली क़तार में, दीवार फाँदने में यूँ जिनका

आदमी ही आदमी के बीच में आने लगा

aadmi hi aadmi ke beech me aane laga

आदमी ही आदमी के बीच में आने लगा फिर वही गुज़रा ज़माना ख़ुद को दुहराने लगा, एक अदना

भूख के एहसास को शेर ओ सुख़न तक ले चलो

bhookh ke ehsas ko sher o sukhan tak le chalo

भूख के एहसास को शेर ओ सुख़न तक ले चलो या अदब को मुफ़्लिसों की अंजुमन तक ले

वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं

ved me jinka hawala haashiye par bhi nahi

वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं वे अभागे आस्था विश्वास लेकर क्या करें ? लोक रंजन