दिल से मंज़ूर तेरी हम ने क़यादत नहीं की
दिल से मंज़ूर तेरी हम ने क़यादत नहीं की ये अलग बात अभी खुल के बग़ावत नहीं की, …
Political Poetry
दिल से मंज़ूर तेरी हम ने क़यादत नहीं की ये अलग बात अभी खुल के बग़ावत नहीं की, …
नज़र नज़र से मिला कर कलाम कर आया ग़ुलाम शाह की नींदें हराम कर आया, कई चराग़ हवा …
सियासत मुफ़ादात में खो गई है हुकुमत न जाने कहाँ सो गई है ? आवामी मसायेल इन्हें तब …
तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ नई ज़मीन नया आसमान चाहता हूँ, बदन की क़ैद से …
किताब सादा रहेगी कब तक ? कभी तो आगाज़ ए बाब होगा, जिन्होंने बस्तियाँ उजाड़ी है कभी तो …
कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा कहीं लहँगा कहीं चोली कहीं शलवार का झगड़ा, वतन में …
नाम से गाँधी के चिढ़ और बैर आज़ादी से है नफ़रतों की खाद हैं उल्फ़त मगर खादी से …
बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत मिटाए दिल से सदियों की अदावत चलो हम एक हो जाएँ, वो क्या …
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी …
तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले हैं तुम ख़ंजर …