दुनियाँ के लोग खुशियाँ मनाने में रह गए…
दुनियाँ के लोग खुशियाँ मनाने में रह गए हम बदनसीब अश्क बहाने में रह गए, कुछ जाँ निसार
Life Status
दुनियाँ के लोग खुशियाँ मनाने में रह गए हम बदनसीब अश्क बहाने में रह गए, कुछ जाँ निसार
हमसे क़ीमत तो ये पूरी ही लिया करती है ज़िन्दगी ख़्वाब अधूरे ही दिया करती है, हर मुहब्बत
मुहब्बत कहाँ अब घरों में मिले यहाँ फूल भी पत्थरो में मिले, जो फिरते रहे दनदनाते हुए वही
चंद सिक्को के एवज़ हर ज़ुर्म के सबूत मिटाने वालो इक्तिदार के नशे में धूत, लोगो पे ज़ुल्म
सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है हरामी जीत जाते है हलाली हार जाता
गम ए वफ़ा को पस ए पुश्त डालना होगा खटक रहा है जो काँटा निकालना होगा, फ़कीर ए
गुलाब चाँदनी रातों पे वार आये हम तुम्हारे होंठों का सदका उतार आये हम, वो एक झील थी
हुई न खत्म तेरी रह गुज़ार क्या करते तेरे हिसार से ख़ुद को फ़रार क्या करते ? सफ़ीना
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इन्सान के बस का काम नहीं फ़ैज़ान ए मोहब्बत आम सही, इर्फ़ान ए
बड़ी क़दीम रिवायत है ये सताने की करो कुछ और ही तदबीर आज़माने की, कभी तो फूट कर