हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी …
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी …
नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन अब घर …
आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया बंद गली के आख़िरी घर को खोल के …
मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने …
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता …
आज ज़रा फुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया बंद गली के आख़िरी घर को आज फिर …
एक ही धरती हम सब का घर जितना तेरा उतना मेरा दुख सुख का ये जंतर मंतर जितना …
दो चार गाम राह को हमवार देखना फिर हर क़दम पे एक नई दीवार देखना, आँखों की रौशनी …
इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी, ख़ूँख़्वार दरिंदों के …
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है, …