परिंदा समझ कर शिकार कर गई
वो माहिर थी फन ए अय्यारी मेंअपने इश्क़ में मुझे बीमार कर गई, अनाड़ी सी शख्सियत थी अपनीवो
वो माहिर थी फन ए अय्यारी मेंअपने इश्क़ में मुझे बीमार कर गई, अनाड़ी सी शख्सियत थी अपनीवो
मौसम ए सर्दी में बारिश ए ख़ास चल रहा है हमारी गलियों में मेढको का आना जाना रहेगा,
अमीर ए मुल्क के नसीब है उरूज़ पे हम गरीबो के हिस्से ज़वाल आ रहे है, मुल्क में
अमीर ए मुल्क के नसीब है उरूज़ पे हम गरीबो के हिस्से ज़वाल आ रहे है, मुल्क में