अधूरे ख़्वाब की अनोखी ताबीर होती है

अधूरे ख़्वाब की अनोखी ताबीर होती है
हर हाथों में मुहब्बत की लकीर होती है,

जरूरी तो नहीं होता क़त्ल हथियार से हो
निगाह ए यार भी अज़ब शमशीर होती है,

मुहब्बत की राह में हायल अपने ही रहते है
हमारे पैरो में रिश्तो की जंज़ीर होती है,

अक्सर हार जाते है सिकंदर भी, खिलाड़ी भी
यानि जो जीत होती है वही तक़दीर होती है,

मुहब्बत ख़ुदफ़रामोशी, मुहब्बत ख़्वाब ए जज़ीरा
नहीं फिर ख़त्म चाहत की तफ़सीर होती है,

रखा ऐसा सहर नवाब मुहब्बत में ख़ुदा ने
गरूर बे नियाज़ी वगरना कहाँ असीर होती है..!!

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