मैं चुप हूँ और दुनिया सुन रही है

मैं चुप हूँ और दुनिया सुन रही है
ख़मोशी दास्तानें बुन रही है,

तअज्जुब है कि एक सोने की चिड़िया
बयाबानों में तिनके चुन रही है,

कहाँ नेकी गुनाहों से ही बच लें
हमें तो बस यही एक धुन रही है,

तुझे महसूस करते भी तो कैसे ?
छटी हिस भी हमारी सुन रही है,

मैं उस बस्ती का बाशिंदा था यारब
जहाँ सच्चाई भी अवगुन रही है,

यहाँ गर्दिश में हैं दिन रात अंजुम
वहाँ बस एक सदा ए कुन रही है..!!

~अशफ़ाक़ अंजुम

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