दिल से अगर कभी तेरा अरमान जाएगा

दिल से अगर कभी तेरा अरमान जाएगा
घर को लगा के आग ये मेहमान जाएगा,

सब होंगे उस से अपने तआरुफ़ की फ़िक्र में
मुझ को मेरे सुकूत से पहचान जाएगा,

इस कुफ़्र ए इश्क़ से मुझे क्यूँ रोकते हो तुम
ईमान वालो मेरा ही ईमान जाएगा,

आज उस से मैं ने शिकवा किया था शरारतन
किस को ख़बर थी इतना बुरा मान जाएगा ?

अब इस मक़ाम पर हैं मेरी बेक़रारियाँ
समझाने वाला हो के पशेमान जाएगा,

दुनिया पे ऐसा वक़्त पड़ेगा कि एक दिन
इंसान की तलाश में इंसान जाएगा..!!

~फ़ना निज़ामी कानपुरी

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