हर एक झोंका नुकीला हो गया है
फ़ज़ा का रंग नीला हो गया है,
अभी दो चार ही बूँदें गिरीं हैं
मगर मौसम नशीला हो गया है,
करें क्या दिल उसी को माँगता है
ये साला भी हटीला हो गया है,
ख़बर क्या थी कि नेकी बाँझ होगी
बदी का तो क़बीला हो गया है,
ख़ुदा रखे जवानी आ गई है
गुनह बाँका सजीला हो गया है,
न जाने छत पे क्या देखा था अल्वी
बेचारा चाँद पीला हो गया है..!!
~मोहम्मद अल्वी