जान हम तुझ पे दिया करते हैं
नाम तेरा ही लिया करते हैं,
चाक करने के लिए ऐ नासेह
हम गरेबान सिया करते हैं,
साग़र ए चश्म से हम बादा परस्त
मय ए दीदार पिया करते हैं,
ज़िंदगी ज़िंदादिली का है नाम
मुर्दादिल ख़ाक जिया करते हैं,
संग ए असवद भी है भारी पत्थर
लोग जो चूम लिया करते हैं,
कल न देगा कोई मिट्टी भी उन्हें
आज ज़र जो कि दिया करते हैं,
दफ़्न महबूब जहाँ हैं नासिख़
क़ब्रें हम चूम लिया करते हैं..!!
~इमाम बख़्श नासिख़

























