वतन से दूर आ कर जो बड़ी दौलत कमाते है
कभी आओ हमें देखो कि गम कितना उठाते है,
बड़ा महँगा पसीना है, बड़े सस्ते खिलौने है
यहाँ अरमान लुटा कर हम बड़े डॉलर बचाते है,
तरस जाते है अपनों की मुहब्बत को तो हम यारो
सिरहाने रख कर तस्वीरे बहुत आँसू बहाते है,
ठिठुरती सर्द रातों में अकेले जा के साहिल पर
तरसती खाली आँखों में समन्दर भर के लाते है,
किसी बच्चे की किलकारी नहीं सुन पाते सालो से
ख्यालो में यहाँ कांधो पे उसको हम सुलाते है,
वतन से दूर आ कर जो बड़ी दौलत कमाते है
कभी आओ हमें देखो कि गम कितना उठाते है..!!
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