तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा तेरे सामने मेंरा हाल है

तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा तेरे सामने मेंरा हाल है
तेरी एक निगाह की बात है मेंरी ज़िंदगी का सवाल है,

मेंरी हर ख़ुशी तेरे दम से है मेंरी ज़िंदगी तेरे ग़म से है
तेरे दर्द से रहे बे ख़बर मेंरे दिल की कब ये मजाल है,

तेरे हुस्न पर है मेंरी नज़र मुझे सुब्ह शाम की क्या ख़बर
मेंरी शाम है तेरी जुस्तुजू मेरी सुब्ह तेरा ख़याल है,

मेंरे दिल जिगर में समा भी जा रहे क्यों नज़र का भी फ़ासला ?
कि तेरे बग़ैर तो जान ए जाँ मुझे ज़िंदगी भी मुहाल है..!!

~मजरूह सुल्तानपुरी

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