तेरा सच है तेरे अज़ाबों में
झूठ लिखा है सब किताबों में,
एक से मिल के सब से मिल लीजे
आज हर शख़्स है नक़ाबों में,
तेरा मिलना तेरा नहीं मिलना
एक रस्ता कई सराबों में,
उन की नाकामियों को भी गिनिए
जिन की शोहरत है कामयाबों में,
रौशनी थी सवाल की हद तक
हर नज़र खो गई जवाबों में..!!
~निदा फ़ाज़ली

























