रास्ते जो हमेशा सहल ढूँढ़ते है
हो न हो वो सराबो में जल ढूँढ़ते है,
जब भी लगता है अब इम्तेहाँ है ज़रूरी
उलझने हम खड़ी कर के हल ढूँढ़ते है,
जिनके चलने से हो जाएँ राहे मुअत्तर
आदमी ऐसा हम आजकल ढूँढ़ते है,
बीज ऊसर में जो फेकते है हमेशा
कितनी शिद्दत से उसमे फ़सल ढूँढ़ते है,
धड़कनो से भरी बस्तियाँ छोड़ आये
पत्थरो के नगर में गज़ल ढूँढ़ते है..!!