रंग मौसम का हरा था पहले

रंग मौसम का हरा था पहले
पेड़ ये कितना घना था पहले,

मैं ने तो बाद में तोड़ा था इसे
आईना मुझ पे हँसा था पहले,

जो नया है वो पुराना होगा
जो पुराना है नया था पहले,

बाद में मैंने बुलंदी को छुआ
अपनी नज़रों से गिरा था पहले..!!

~राजेश रेड्डी

संबंधित अश'आर | गज़लें

Leave a Reply