मुझे शौक़ था तेरे साथ का

मुझे शौक़ था तेरे साथ का
जो न मिल सका चलो खैर है
मेरी ज़िन्दगी भी गुज़र गई
तू भी जा चुका, चलो खैर है,

ये जो है बेबसी चारो सू
और उलझे उलझे से तौर हैं
तुझे सब ख़बर है पर तू नहीं
तू न समझ सका, चलो खैर है,

कभी तुम को ज़िद्द थी कि मैं मिलूँ
कभी मैं ब ज़िद्द था कि तू मिले
यूँ ही धीरे धीरे खत्म हुआ
ये भी सिलसिला, चलो खैर है..!!

मीर ओ ग़ालिब बने यगाना बने

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