कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे,

शाम हुए ख़ुशबाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं
मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे,

वो जो न आने वाला है ना उस से मुझको मतलब था
आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे,

उसकी याद की बाद ए सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे,

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उसकी क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उनमें वो तो मर जाते होंगे,

मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
यानी मेरे बाद भी यानी साँस लिए जाते होंगे..!!

~जौन एलिया

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