function remove_more_link_scroll( $link ) { $link = preg_replace( '|#more-[0-9]+|', '', $link ); return $link; } add_filter( 'the_content_more_link', 'remove_more_link_scroll' );

ख़ुद को इतना जो हवादार समझ रखा है

ख़ुद को इतना जो हवादार समझ रखा है
क्या हमें रेत की दीवार समझ रखा है,

हमने किरदार को कपड़ों की तरह पहना है
तुम ने कपड़ों ही को किरदार समझ रखा है,

मेरी संजीदा तबीअत पे भी शक है सब को
बाज़ लोगों ने तो बीमार समझ रखा है,

उसको ख़ुद्दारी का क्या पाठ पढ़ाया जाए
भीख को जिसने पुरस्कार समझ रखा है,

तू किसी दिन कहीं बे मौत न मारा जाए
तू ने यारों को मददगार समझ रखा है..!!

~हसीब सोज़

संबंधित अश'आर | गज़लें

Leave a Reply