इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना

इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना
हों घड़े कच्चे तो दरिया में उतर मत जाना,

पाँचवीं सम्त नुजूमी ने इशारा कर के
शाहज़ादे से कहा था कि उधर मत जाना,

हम इन्ही तपती हुई राहों में मिल जाएँगे
कोई साया तुम्हें रोके तो ठहर मत जाना,

घर के जैसा कहीं आराम नहीं पाओगे
कोई कहता है कि अब छोड़ के घर मत जाना,

सर उठाए हुए चलना न कभी दुनिया में
कभी मक़्तल में झुकाए हुए सर मत जाना,

इश्क़ के तुम तो तरफ़दार बहुत हो वाली
बात पड़ जाए तो ऐ यार मुकर मत जाना..!!

~वाली आसी

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