इश्क़ कर के देख ली जो बेबसी देखी न थी
इस क़दर उलझन में पहले ज़िंदगी देखी न थी,
ये तमाशा भी अजब है उन के उठ जाने के बाद
मैंने दिन में इस से पहले तीरगी देखी न थी,
आप क्या आए कि रुख़्सत सब अँधेरे हो गए
इस क़दर घर में कभी भी रौशनी देखी न थी,
आप से आँखें मिली थीं फिर न जाने क्या हुआ
लोग कहते हैं कि ऐसी बेख़ुदी देखी न थी,
मुझ को रुख़्सत कर रहे हैं वो अजब अंदाज़ से
आँख में आँसू लबों पर ये हँसी देखी न थी,
किस क़दर ख़ुश हूँ मैं नासिर उनको पा लेने के बाद
ऐसा लगता है कभी ऐसी ख़ुशी देखी न थी..!!
~हकीम नासिर