एक वो इतने खूबरू तौबा

एक वो इतने खूबरू तौबा
उसपे छूने की आरज़ू तौबा !

हाथ काँपेंगे रूह मचलेगी
जब वो आएँगे रूबरू तौबा !

चाँद तारो से रात सजती हुई
तेरी आवाज़ और तू तौबा !

लब नहीं उसकी आँखे बोलती है
ऐसा अंदाज़ ए गुफ़्तगू तौबा…!!


Discover more from Hindi Gazals :: हिंदी ग़ज़लें

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

संबंधित अश'आर | गज़लें

Leave a Reply