दिल धड़कता है तो आती हैं सदाएँ तेरी

दिल धड़कता है तो आती हैं सदाएँ तेरी
मेरी साँसों में महकने लगीं साँसें तेरी,

चाँद ख़ुद महव ए तमाशा था फ़लक पर उस दम
जब सितारों ने उतारीं थीं बलाएँ तेरी,

शे’र तो रोज़ ही कहते हैं ग़ज़ल के लेकिन
आ कभी बैठ के तुझ से करें बातें तेरी,

ज़ेहन ओ दिल तेरे तसव्वुर से घिरे रहते हैं
मुझ को बाहोँ में लिए रहती हैं यादें तेरी,

क्यूँ मेरा नाम मेरे शे’र लिखे हैं इन में
चुग़लियाँ करती हैं मुझ से ये किताबें तेरी,

बेख़बर ओट से तू झाँक रहा हो हम को
और हम चुपके से तस्वीर बना लें तेरी..!!

~नवाज़ देवबंदी

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