चादर की इज्ज़त करता हूँ

चादर की इज्ज़त करता हूँ
और परदे को मानता हूँ,

हर परदा परदा नहीं होता
इतना मैं भी जानता हूँ,

सारे मर्द ही एक जैसे है
तुमने कैसे कह डाला ?

मैं भी तो एक मर्द हूँ
तुमको ख़ुद से बेहतर मानता हूँ..!!

संबंधित अश'आर | गज़लें

Leave a Reply