ये इत्तेफ़ाक थोड़ी है

Love_Bazme2

मिल के तुमको छोड़ दे कोई मज़ाक थोड़ी है हम दोनों जो मिले हैये इत्तेफ़ाक थोड़ी है, मिल

मुहब्बत की झूठी अदाओं पे साहब

Mohabbat ki jhuthi adaaon

मुहब्बत की झूठी अदाओं पे साहबजवानी लुटाने की कोशिश न करना, बड़े बेमुरौत होते है ये हुस्न वालेकही

मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते

manzil pe naa pahunche

मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहतेदो चार क़दम चलने को चलना नहीं कहते इक हम हैं

मुझे गुमनाम रहने का

mujhe gumnam rahne ka

मुझे गुमनाम रहने काकुछ ऐसा शौक है हमदमकिसी बेनाम सहरा मेंभटकती रूह हो जैसे, जहाँ साये तरसते होकिसी

परिंदा समझ कर शिकार कर गई

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वो माहिर थी फन ए अय्यारी मेंअपने इश्क़ में मुझे बीमार कर गई, अनाड़ी सी शख्सियत थी अपनीवो

बहाना गरीबो को अधिकार दिलाना रहेगा

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मौसम ए सर्दी में बारिश ए ख़ास चल रहा है हमारी गलियों में मेढको का आना जाना रहेगा,

अमीर ए मुल्क के नसीब है उरूज़ पे

अमीर ए मुल्क के

अमीर ए मुल्क के नसीब है उरूज़ पे हम गरीबो के हिस्से ज़वाल आ रहे है, मुल्क में