वो एक लफ़्ज़ जो बेसदा जाएगा
वो एक लफ़्ज़ जो बेसदा जाएगा वही मुद्दतों तक सुना जाएगा, कोई है जो मेरे तआक़ुब में है
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वो एक लफ़्ज़ जो बेसदा जाएगा वही मुद्दतों तक सुना जाएगा, कोई है जो मेरे तआक़ुब में है
मुक़द्दर ने कहाँ कोई नया पैग़ाम लिखा है अज़ल ही से वरक़ पर दिल के तेरा नाम लिखा
शरीक ए आलम ए कैफ़ ओ सुरूर मैं भी था कि रात जश्न में तेरे हुज़ूर मैं भी
मुझे तन्हाई के ग़म से बचा लेते तो अच्छा था सफ़र में हमसफ़र अपना बना लेते तो अच्छा
नदी के पार उजाला दिखाई देता है मुझे ये ख़्वाब हमेशा दिखाई देता है, बरस रही हैं अक़ीदत
ज़बाँ है मगर बे ज़बानों में है नसीहत कोई उसके कानों में है, चलो साहिलों की तरफ़ रुख़
वो सर फिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे मैं आख़िरी चराग़ था जलना पड़ा मुझे, महसूस कर रहा
न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़ है कुछ भी हम में हमारा कहाँ हमारी तरफ़, खड़े
मेरे दिल में जब कोई मलाल होता है तुम क्या जानो मेरा कैसा हाल होता है, मेरी हर
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ, नसीहत कर रही