जलता रहा मैं रात की तन्हाइयों के साथ
जलता रहा मैं रात की तन्हाइयों के साथ और तुम रहे हो सुब्ह की रानाइयों के साथ, ऐ
Sad Poetry
जलता रहा मैं रात की तन्हाइयों के साथ और तुम रहे हो सुब्ह की रानाइयों के साथ, ऐ
दिल में बस जान सा मैं रहता हूँ ख़ुद में मेहमान सा मैं रहता हूँ, कितने आबाद दिल
उस से मिला तो दिल मेंरा सरशार हो गया और फिर बिछड़ के ख़ुद से ही बेज़ार हो
चराग़ इश्क़ के दिल में जलाए जाते हैं बड़े ही शौक़ से सदमे उठाए जाते हैं, उन्हें सुकून
बड़ी मुश्किल हैं राहें सुन मोहब्बत की ज़माने में कि पल पल मरना पड़ता है इसे दिल से
दोनों में थी हवस कि मोहब्बत तो थी नहीं यानी वफ़ा की उनको ज़रूरत तो थी नहीं, अच्छा
इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना हों घड़े कच्चे तो दरिया में उतर मत
फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे मिट भी जाएँगे तो हम एक दास्ताँ हो जाएँगे, मैंने
सुनो ये ग़म की सियह रात जाने वाली है अभी अज़ान की आवाज़ आने वाली है, तुझे यक़ीन
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे, तू मोहब्बत से कोई चाल