ये कह के आग वो दिल में लगाए जाते हैं

ये कह के आग

ये कह के आग वो दिल में लगाए जाते हैं चराग़ ख़ुद नहीं जलते जलाए जाते हैं अब

रात सुनती रही मैं सुनाता रहा

हर एक रूह में

रात सुनती रही मैं सुनाता रहा दर्द की दास्ताँ मैं बताता रहा, लोग लोगो से चाहत निभाते रहें

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ दर्द अगर उठे तो क्या शोर मचाने लग जाएँ,

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई पूछना था कि तेरा ध्यान भी रखता है कोई

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस उम्र भर एक दूसरे को सोचना है और बस, ज़िन्दगी

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या हम ने भी कीं दर ओ दीवार से

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते, अंदर

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए उनकी गली गए तो ख़रीदार बिक गए, लगने लगी

जैसा नज़र का शौक़ था वैसा न कर सका

ये ज़माने की वफ़ाएं

जैसा नज़र का शौक़ था वैसा न कर सका शहर करिश्मा साज़ तमाशा न कर सका, दुनिया ने

ये ज़माने की वफ़ाएं मेरे काम की नहीं

ये ज़माने की वफ़ाएं

ये ज़माने की वफ़ाएं मेरे काम की नहीं मुझे उसकी वफ़ा चाहिए किसी आम की नहीं, उसकी तो