तुम मेरी ख्वाहिश नहीं हो….

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तुम मेरी ख्वाहिश नहीं होख्वाहिश पूरी हो जाए तो तलब नहीं रहती, तुम मेरी आदत भी नहीं होआदत

जो रहता है दिल के क़रीब

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जो रहता है दिल के क़रीबअक्सर वही दूर हुआ करता है, जो नहीं हो मयस्सर हमकोवही मतलूब हुआ

ख़िरद मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है

khirad mando se kya

ख़िरद मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या हैकि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा