सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है…
सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है हरामी जीत जाते है हलाली हार जाता
Life Status
सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है हरामी जीत जाते है हलाली हार जाता
गम ए वफ़ा को पस ए पुश्त डालना होगा खटक रहा है जो काँटा निकालना होगा, फ़कीर ए
गुलाब चाँदनी रातों पे वार आये हम तुम्हारे होंठों का सदका उतार आये हम, वो एक झील थी
हुई न खत्म तेरी रह गुज़ार क्या करते तेरे हिसार से ख़ुद को फ़रार क्या करते ? सफ़ीना
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इन्सान के बस का काम नहीं फ़ैज़ान ए मोहब्बत आम सही, इर्फ़ान ए
बड़ी क़दीम रिवायत है ये सताने की करो कुछ और ही तदबीर आज़माने की, कभी तो फूट कर
जिसे तुम प्यार समझे थे वो कारोबार था हमदम यहाँ सब अपने मतलब में मुहब्बत साथ रखते है,
जो मिला उससे गुज़ारा न हुआ जो हमारा था, वो हमारा न हुआ, हम किसी और से
मालूम है इस दुनियाँ में मशहूर नहीं है ये गाँव तेरे दिल से तो अब दूर नहीं है,
शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते है इतने समझौतों पे जीते है कि मर जाते है,