हमारे दिल पे जो ज़ख़्मों का बाब लिखा है
हमारे दिल पे जो ज़ख़्मों का बाब लिखा है इसी में वक़्त का सारा हिसाब लिखा है, कुछ
Life Poetry
हमारे दिल पे जो ज़ख़्मों का बाब लिखा है इसी में वक़्त का सारा हिसाब लिखा है, कुछ
एक मकाँ और बुलंदी पे बनाने न दिया हमको परवाज़ का मौक़ा ही हवा ने न दिया, तू
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई, दिन भी
मैंने ऐ दिल तुझे सीने से लगाया हुआ है और तू है कि मेरी जान को आया हुआ
शाम अपनी बेमज़ा जाती है रोज़ और सितम ये है कि आ जाती है रोज़, कोई दिन आसाँ
सुनी है चाप बहुत वक़्त के गुज़रने की मगर ये ज़ख़्म कि हसरत है जिसके भरने की, हमारे
ख़्वाब दिखाने वाले से होशियार रहो जादूगर की चालो से होशियार रहो, गाफ़िल ज़रा हुए तो सर कट
दुनियाँ बदल गई है, ज़माना बदल गया है यहाँ जीने का अंदाज़ पुराना बदल गया है, दोस्त अहबाब
गूँगे लफ़्ज़ों का ये बेसम्त सफ़र मेरा है गुफ़्तुगू उसकी है लहजे में असर मेरा है, मैं ने
भीड़ में कोई शनासा भी नहीं छोड़ती है ज़िंदगी मुझको अकेला भी नहीं छोड़ती है, आफ़ियत का कोई