मुझे तुम शोहरतों के दरमियाँ गुमनाम लिख देना

mujhe tum shohraton ke darmiyan gumnam likh dena

मुझे तुम शोहरतों के दरमियाँ गुमनाम लिख देना जहाँ दरिया मिले बे आब मेरा नाम लिख देना, ये

कभी ख़िरद से कभी दिल से दोस्ती कर ली

kabhi khirad se kabhi dil se dosti kar lee

कभी ख़िरद से कभी दिल से दोस्ती कर ली न पूछ कैसे बसर हम ने ज़िंदगी कर ली,

बिछड़ते दामनों में फूल की कुछ पत्तियाँ रख दो

bichhadte daamnon me phool kee kuch pattiyan rakh do

बिछड़ते दामनों में फूल की कुछ पत्तियाँ रख दो तअल्लुक़ की गिराँबारी में थोड़ी नर्मियाँ रख दो, भटक

ग़ुरूब ए शाम ही से ख़ुद को यूँ महसूस करता हूँ

gurub e shaam hi se khud ko yun mahsus karta hoon

ग़ुरूब ए शाम ही से ख़ुद को यूँ महसूस करता हूँ कि जैसे एक दीया हूँ और हवा

अपने घर के दर ओ दीवार को ऊँचा न करो

apne ghar ke dar o deewar ko ooncha na karo

अपने घर के दर ओ दीवार को ऊँचा न करो इतना गहरा मेरी आवाज़ से पर्दा न करो,

मेरी आँखों को बख़्शे हैं आँसू

meri ankhon ko bakhshe hain aansoon

मेरी आँखों को बख़्शे हैं आँसू दिल को दाग़ ए अलम दे गए हैं, इस इनायत पे क़ुर्बान

हक़ीक़त का अगर अफ़्साना बन जाए तो क्या कीजे

haqiqat ka agar afsana ban jaaye to kya kijiye

हक़ीक़त का अगर अफ़्साना बन जाए तो क्या कीजे गले मिल कर भी वो बेगाना बन जाए तो

ला पिला दे साक़िया पैमाना पैमाने के बा’द

laa pila de saaqiya paimana paimane ke baad

ला पिला दे साक़िया पैमाना पैमाने के बा’द बात मतलब की करूँगा होश आ जाने के बा’द, जो

मोहब्बत ही न जो समझे वो ज़ालिम प्यार क्या जाने

mohabbat hi na jo samjhe wo zalim pyar kya jaane

मोहब्बत ही न जो समझे वो ज़ालिम प्यार क्या जाने निकलती दिल के तारों से जो है झंकार

तू ने अपना जल्वा दिखाने को जो नक़ाब मुँह से उठा दिया

tu ne apna jalwa dikhaane ko jo naqab munh se utha diya

तू ने अपना जल्वा दिखाने को जो नक़ाब मुँह से उठा दिया वहीं महव ए हैरत ए बे