नए मौसम को क्या होने लगा है
नए मौसम को क्या होने लगा है कि मिट्टी में लहू बोने लगा है, कोई क़ीमत नहीं थी …
नए मौसम को क्या होने लगा है कि मिट्टी में लहू बोने लगा है, कोई क़ीमत नहीं थी …
भूले से किसी और का रस्ता नहीं छूते अपनी तो हर एक शख़्स से रफ़्तार जुदा है, उस …
अगर ये ज़िद है कि मुझ से दुआ सलाम न हो तो ऐसी राह से गुज़रो जो राह …
मसअला हुस्न ए तख़य्युल का है न इल्हाम का है ये फ़साना ज़रा मुश्किल दिल ए नाकाम का …