आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं…
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर नहीं, आ जाएँ …
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर नहीं, आ जाएँ …
कुछ इस तरह से इबादत खफ़ा हुई हमसे नमाज़ ए इश्क बहुत कम अदा हुई हमसे, गरीब आँखों …
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ हम भी न डूब जाएँ कहीं ना ख़ुदा के …
किसी से भी नहीं हम सब्र की तलक़ीन लेते है हमें मिलती नहीं जो चीज उसको छीन लेते …
मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है ज़िन्दगी से हारे हुए लोगो को जीतते …
जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है हर किसी को रंज़ ओ अलम में गिरफ्तार …
जानता कोई नहीं आज असूलो की ज़ुबान काश ! आ जाए हमें बोलना फूलों की ज़ुबान, मौसम ए …
चलो आओ हम एक वायदा करें दिलो में बस अपने मुहब्बत भरे, वो सब काम जिनसे दुखे दिल …
मत पूछो मुसलमान का हाल… मस्ज़िद के लिए सर कटाने को तैयार है लेकिन मस्ज़िद में सर झुकाने …
ईद मुबारक़ आगाज़ ईद है, अंज़ाम ईद है, नेक काम ईद है सच्चाई ओ हक़ पे रहे क़ायम …