सच बोलने के तौर तरीक़े नहीं रहे
सच बोलने के तौर तरीक़े नहीं रहे पत्थर बहुत हैं शहर में शीशे नहीं रहे, वैसे तो हम …
सच बोलने के तौर तरीक़े नहीं रहे पत्थर बहुत हैं शहर में शीशे नहीं रहे, वैसे तो हम …
मेरे ख़ुदा मुझे वो ताब ए नय नवाई दे मैं चुप रहूँ भी तो नग़्मा मेरा सुनाई दे, …
हर शख्स को अल्लाह की रहमत नहीं मिलती हाँ रिज्क तो मिल जाता है बरक़त नहीं मिलती, किस …
पा सके न सुकूं जो जीते जी वो मर के कहाँ पाएँगे शहर के बेचैन परिंदे फिर लौट …
किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई ऐ मेरे ख़ुदा नफ़रत ही दे रही है दिखाई ऐ मेरे ख़ुदा, …
बहुत कुछ मेहनतों से एक ज़रा इज़्ज़त कमाई है अंधेरे झोंपड़े में रौशनी जुगनू से आई है, तसद्दुक़ …
बेकार जब दुआ है दवा क्या करेगी आज ऐसे में ज़िंदगी भी वफ़ा क्या करेगी आज ? ये …
दो चार क्या हैं सारे ज़माने के बावजूद हम मिट नहीं सकेंगे मिटाने के बावजूद, ये राज़ काश …
यही हाल रहा साक़ी तेरे मयखानों का तो ढेर लग जाएगा टूटे हुए पैमानों का, क़हत दुनियाँ में …
अब तरसते हो कि बच्चे मेरे बोले उर्दू उन्हें अफरंग बनाने की ज़रूरत क्या थी ? आज रोते …