बिछड़ के उन के हम इस एहतिमाल से भी गए
बयान ए ग़म से गए अर्ज़ ए हाल से भी गए,
थी जिन की याद से रौशन ख़याल की दुनिया
वो ऐसे रूठे बिसात ए ख़याल से भी गए,
निगाहें मिलने से मुमकिन है प्यार आ जाए
हम उन की बज़्म में कुछ इस ख़याल से भी गए,
उन्होंने आ के कोई हाल तक नहीं पूछा
बनावटी ही सही इंदिमाल से भी गए,
दिल उन को दे के बहुत मुतमइन हुए हम भी
कि रोज़ रोज़ की अब देख भाल से भी गए,
निगाह ए लुत्फ़ नहीं तो निगाह ए क़हर सही
सितम तो ये है हम इस एहतिमाल से भी गए,
वो आए चीं ब जबीं इस लिए सर ए महफ़िल
हम उन से अब तो जवाब ओ सवाल से भी गए,
दिल एक पियाला था मिट्टी का वो भी टूट गया
निगाह मिलते ही जाम ए सिफ़ाल से भी गए,
ख़ुदा पे छोड़ के ऐ मौज कश्ती ए उल्फ़त
सुकून पा गए फ़िक्र ए मआल से भी गए..!!
~मोज फ़तेहगढ़ी

























