इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

Ishq mujh ko nahin

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही, क़त्अ कीजे न तअल्लुक़ हम

ग़म ए दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की

Gam e duniya se

ग़म ए दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की फ़लक का देखना तक़रीब तेरे याद आने

लिख लिख के आँसुओं से दीवान कर लिया है

likh-likh-ke-aansoo

लिख लिख के आँसुओं से दीवान कर लिया है अपने सुख़न को अपनी पहचान कर लिया है, आख़िर

न घर है कोई, न सामान कुछ रहा बाक़ी

naa-ghar-hai-koi

न घर है कोई, न सामान कुछ रहा बाक़ी नहीं है कोई भी दुनिया में सिलसिला बाक़ी, ये

हर्फ़ ए ताज़ा नई ख़ुशबू में लिखा चाहता है

Harf e taza nayi

हर्फ़ ए ताज़ा नई ख़ुशबू में लिखा चाहता है बाब एक और मोहब्बत का खुला चाहता है, एक

हम ने ही लौटने का इरादा नहीं किया

Hum ne hi lautne

हम ने ही लौटने का इरादा नहीं किया उसने भी भूल जाने का वादा नहीं किया, दुख ओढ़ते

चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया

Chalne ka hausla nahi

चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर

कू ब कू फैल गई बात शनासाई की

Ku ba ku fail gai

कू ब कू फैल गई बात शनासाई की उसने ख़ुशबू की तरह मेरी पज़ीराई की, कैसे कह दूँ

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख़याल भी

Kuch to hawa bhi

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख़याल भी दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता

फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह

Falsafe Ishq me pesh

फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह हम परेशाँ ही रहे अपने ख़यालों की तरह, शीशागर बैठे