तख़्लीक़ पे फ़ितरत की गुज़रता है गुमाँ और

Takhliq pe fitrat ki

तख़्लीक़ पे फ़ितरत की गुज़रता है गुमाँ और इस आदम ए ख़ाकी ने बनाया है जहाँ और, ये

हालत ए हाल के सबब हालत ए हाल ही गई

Halat e haal ke

हालत ए हाल के सबब हालत ए हाल ही गई शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी

तुम आए हो न शब ए इंतिज़ार गुज़री है

Tum Aye ho na

तुम आए हो न शब ए इंतिज़ार गुज़री है तलाश में है सहर बार बार गुज़री है, जुनूँ

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी

Kab Thahrega Dard e

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी, कब

नया एक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम ?

Naya ek Rishta Paida

नया एक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम ? बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम ? ख़मोशी से

बे क़रारी सी बे क़रारी है

Be Qarari see Be

बे क़रारी सी बे क़रारी है वस्ल है और फ़िराक़ तारी है, जो गुज़ारी न जा सकी हम

गुलाबी होंठों पे मुस्कराहट

Gulabi Honthon pe Muskurahat

गुलाबी होंठों पे मुस्कराहट सजा के मिलते तो बात बनती, वो चाँद चेहरे से काली ज़ुल्फें हटा के

मेरे नसीब का लिखा बदल भी सकता था

mere-nasib-ka-likha

मेरे नसीब का लिखा बदल भी सकता था वो चाहता तो मेंरे साथ चल भी सकता था, ये

लोग कहते हैं ज़माने में मुहब्बत कम है

Log kahte hain zamane

लोग कहते हैं ज़माने में मुहब्बत कम है ये अगर सच है तो इस में हकीक़त कम है,

कुछ ग़म ए जानाँ कुछ ग़म ए दौराँ…

kuch-gam-e-jaanaan

कुछ ग़म ए जानाँ कुछ ग़म ए दौराँ दोनों मेरी ज़ात के नाम एक ग़ज़ल मंसूब है उससे