अब तो कोई भी किसी की बात नहीं समझता
अब कोई भी किसी के जज़्बात नहीं समझता,
अपने मज़े में ग़ाफ़िल पत्थर दिल हैं सब के सब
अब तो कोई भी किसी के हालात नहीं समझता,
हम किस से करें बयाँ अपने दिल की बातें यारो
अब तो कोई भी किसी की आवाज़ नहीं समझता,
भांप लेते थे लोग कभी चेहरे से ही दिल की बातें
अब तो कोई भी किसी के अल्फाज़ नहीं समझता,
तड़पते घायल को देखते हैं तमाशे की तरह बस
अब तो कोई भी किसी की दरकार नहीं समझता,
क्या से क्या हो गयी है ये दुनिया न जाने दोस्तों !
कि अब तो कोई भी किसी का प्यार नहीं समझता..!!
~अज्ञात























