हमें दरियाफ़त करने से हमें तसखीर करने तक
बहुत है मरहले बाक़ी, हमें जंज़ीर करने तक,
हमारे हिज़्र के किस्से, समेटोगे तो लिखोगे
हज़ारों बार सोचोगे, हमें तहरीर करने तक,
हमारा दिल है पैमाना, सो पैमाना तो छलकेगा
चलो दो घूँट तुम भर लो, हमें तासीर करने तक,
पुराने रंग छोड़ो आँख के, एक रंग ही काफ़ी है
मुहब्बत से चश्म भर लो, हमें तस्वीर होने तक,
हुनर तकमील से पहले, मसूर भी छुपाता है
ज़रा तुम भी छुपा रखो, हमें तामीर करने तक,
वो हमको रोज़ लुटते है, अदाओं से बहानो से
ख़ुदा रखे ! सलामत उन्हें हमें फ़कीर होने तक

























