लोग कहते हैं कि इस खेल में सर जाते हैं

लोग कहते हैं कि इस खेल में सर जाते हैं
इश्क़ में इतना ख़सारा है तो घर जाते हैं,

मौत को हम ने कभी कुछ नहीं समझा मगर आज
अपने बच्चों की तरफ देख के डर जाते हैं,

ज़िन्दगी ऐसे भी हालात बना देती है
लोग साँसों का कफ़न ओढ़ के मर जाते हैं,

पाँव में अब कोई ज़ंजीर नहीं डालते हम
दिल जिधर ठीक समझता है उधर जाते है,

क्या जुनूँ ख़ेज़ मसाफ़त थी तेरे कूचे की
और अब यूँ है कि ख़ामोश गुज़र जाते हैं,

ये मोहब्बत की अलामत तो नहीं है कोई
तेरा चेहरा नज़र आता है जिधर जाते हैं..!!

~शकील जमाली

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