ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा
वहाँ भी रेत का अम्बार होगा,
ये सारे शहर में दहशत सी क्यूँ है ?
यक़ीनन कल कोई त्यौहार होगा,
बदल जाएगी उस बच्चे की दुनिया
जब उस के सामने अख़बार होगा,
उसे नाकामियाँ ख़ुद ढूँढ लेंगी
यहाँ जो साहब ए किरदार होगा,
समझ जाते हैं दरिया के मुसाफ़िर
जहाँ मैं हूँ वहाँ मंजधार होगा,
ज़माने को बदलने का इरादा
कहा तो था तुझे बेकार होगा..!!
~राजेश रेड्डी